This blog is about my poems in Konkani, my mother tongue and the "Poet" that is hidden within me.
विष का देता
जाँन आगियार
दुदा एवजी मला
चिक का देता
जगू दे ना स्वपन माझे
जाखमां माज्या अंगावर
सहन होत नाही
जाखमां ताज्या आहेत
मिठा का लावता
प्रेमा एवजी मला
भिक का देता
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